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शिशु टीकाकरण

#Baby Vaccination
टीके की बूँदें, हर माँ की आशा,
शिशु की सेहत की रक्षा, हर बारिश का आसमां,
माँ की दुआओं से, हर संक्रमण से बचा,
टीकाकरण से सजे, हर माँ का बच्चा ।

बच्चों का टीकाकरण एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो उन्हें संक्रामक रोगों से सुरक्षित रखती है। यह टीकाकरण प्रक्रिया उनके शारीरिक रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाती है और उन्हें अच्छी स्वास्थ्य का आनंद लेने में मदद करती है। टीका लगाना एक विशेष प्रक्रिया है जिसमें एक विशिष्ट रोग या इंफेक्शन से बचाव के लिए एक चिकित्सा उपाय के रूप में विभिन्न टीके या वैक्सीन को व्यक्ति के शरीर में डाला या इंजेक्ट किया जाता है। ताकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा मिले और विशिष्ट रोग या इंफेक्शन से लड़ने की क्षमता मिले। यह वैक्सीन अक्सर एक छोटी सुई के रूप में शरीर के तंतुओं में प्रवेश कराई जाती है | कुछ मौखिक रूप से (मुंह से) भी दिए जाते हैं या नाक में स्प्रे किए जाते हैं।



नवजात शिशु के टीकाकरण का आरंभ जन्म से ही हो जाता है। शिशु को जन्म के तुरंत बाद ही बीबीटी, डीपीटी, हिब, पोलियो, प्नेमोकोकल, और रोटावायरस जैसी वैक्सीनेशन दी जाती है। बच्चों के वैक्सीनेशन को उनकी उम्र के हिसाब से समय-समय पर अनुसूचित किया जाता है। इसमें कई डोज के टीके होते हैं, जो उनके शारीरिक विकास को सुदृढ़ करते हैं और उन्हें विभिन्न रोगों से बचाते हैं।


बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहद कमजोर होती है ऐसे में उसका टीकाकरण करने से उसे कई बीमारियों से बचाया जा सकता है | जब एक शिशु को टीका लगाया जाता है, तो उसके शरीर में उस रोग के खिलाफ लड़ने के लिए अंतर्जालीय प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करने वाले रोग प्रतिरक्षक तत्वों का विकास होने लगता हैं और शिशु को उस विशेष रोग या इंफेक्शन के खिलाफ सुरक्षा प्राप्त होती है। यहाँ समझने वाली बात यह है कि टीके शिशु की प्रतिरक्षा प्रणाली को एंटीबॉडी बनाने के लिए ठीक वैसे ही प्रशिक्षित करते हैं, जैसे यह किसी बीमारी के संपर्क में आने पर होता है।


भारत में सरकार ने निःशुल्क टीकाकरण कार्यक्रम को अभियान के रूप में शुरू किया है, जिससे गरीब और निराधार लोगों को भी टीकाकरण सुविधा प्राप्त हो सके। इससे सामाजिक समानता बढ़ती है और संक्रामक रोगों के खिलाफ लड़ाई में मदद मिलती है।


टीका लगाने की प्रक्रिया को सामान्यत: स्वास्थ्य केंद्र, चिकित्सक के क्लिनिक, या सरकारी या निजी चिकित्सालय में, एक प्रशिक्षित चिकित्सक या चिकित्सा कर्मचारी द्वारा सम्पन्न किया जाता है, और यह सुनिश्चित करने के लिए कि टीका सही ढंग से लगता है और शिशु को किसी भी प्रकार की चोट या समस्या का सामना न करना पड़े, समाधानात्मक सावधानी बरती जाती है। वैक्सीनेशन के बाद, बच्चों को स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स द्वारा अनुशंसित अनुसूचित समय पर संगठित रूप से टीकाकरण की जांच करानी चाहिए। इससे बच्चे को संक्रामक रोगों से बचाव में सहायक होता है और उनका स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है।


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टीका की बूँद, बचपन की रक्षा,
माँ की गोद में, हर बच्चे की भगवान,
बीमारी से बचाव, हर जीवन की सरल बात,
टीकाकरण का संकल्प, स्वास्थ्य की वरदान।

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