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स्तनपान (Breastfeeding)

#Breastfeeding

दूध की प्यास, माँ की बाहों में राहत, 
स्नेह और पोषण का मेल, स्तनपान जरुरी बेहद।
जीवन के इस महकते सफर में, ये अनमोल पल हैं सच्चे, 
माँ की गोदी में शिशु की खुशी, उसके जीवन की मदद ।।

स्तनपान या ब्रेस्टफीडिंग नवजात शिशु के लिए पोषण का प्राकृतिक और सर्वोत्तम स्रोत है। इसमें न केवल शिशु को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं, बल्कि यह माँ और बच्चे के बीच गहरे बंधन को भी मजबूत करता है। स्तनपान (Breastfeeding) एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जो नवजात शिशु को आवश्यक पोषण और सुरक्षा प्रदान करती है। यह केवल बच्चे के शारीरिक विकास के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और यूनिसेफ जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ माँ के दूध को शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार मानती हैं।

स्तनपान के बारे में जानने और सही तरीके से स्तनपान करवाने के लिए आवश्यक जानकारी होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम स्तनपान से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे और समस्याओं का समाधान करेंगे।

शिशु के लिए स्तनपान के लाभ - Benefits of Breastfeeding for the Baby

  • पोषण की संपूर्णता - Complete Nutrition: माँ का दूध शिशु को सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है, जिसमें प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन और खनिज शामिल होते हैं।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना - Strengthens Immune System: माँ के दूध में एंटीबॉडीज होते हैं जो शिशु को संक्रमणों और बीमारियों से बचाते हैं, जिससे उसकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
  • पाचन तंत्र के लिए अच्छा - Easy Digestion: माँ का दूध शिशु के पाचन तंत्र के लिए आसानी से पचने योग्य होता है और यह कब्ज और दस्त जैसी समस्याओं को कम करता है।
  • बुद्धिमत्ता में वृद्धि - Enhances Intelligence: अध्ययन बताते हैं कि स्तनपान करने वाले शिशुओं का IQ स्तर अधिक होता है और उनका मानसिक विकास बेहतर होता है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि - Increases Disease Resistance: स्तनपान करने वाले शिशु विभिन्न बीमारियों जैसे अस्थमा, मोटापा, डायबिटीज और एलर्जी से सुरक्षित रहते हैं।
  • भावनात्मक सुरक्षा - Emotional Security: स्तनपान के दौरान माँ और शिशु के बीच शारीरिक संपर्क से शिशु को सुरक्षा और आराम महसूस होता है, जिससे उसका भावनात्मक विकास होता है।
  • शारीरिक विकास में सहायता - Supports Physical Growth: माँ का दूध शिशु के शारीरिक विकास के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व प्रदान करता है, जिससे उसकी हड्डियाँ और मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
  • कम बीमार पड़ना - Fewer Illnesses: स्तनपान करने वाले शिशु कम बीमार पड़ते हैं और अस्पताल में भर्ती होने की संभावना भी कम होती है।
  • मोटापे का खतरा कम - Reduces Risk of Obesity: स्तनपान करने वाले शिशुओं में मोटापे का खतरा कम होता है, क्योंकि माँ का दूध प्राकृतिक रूप से संतुलित होता है।
  • संक्रमणों से सुरक्षा - Protection Against Infections: माँ का दूध शिशु को कान के संक्रमण, श्वसन संक्रमण और आंतरिक संक्रमण से बचाने में मदद करता है।

माँ के लिए स्तनपान के लाभ - Benefits of Breastfeeding for the Mother

  • वजन घटाने में मदद - Helps in Weight Loss: स्तनपान से माँ के शरीर में कैलोरी बर्न होती है, जिससे वजन कम करने में मदद मिलती है।
  • मातृत्व स्वास्थ्य में सुधार - Improves Maternal Health: स्तनपान करने से माँ का गर्भाशय तेजी से अपनी सामान्य स्थिति में वापस आ जाता है, जिससे प्रसव के बाद की समस्याएं कम होती हैं।
  • स्तन कैंसर का खतरा कम - Reduces Risk of Breast Cancer: स्तनपान करने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
  • अंडाशय के कैंसर का खतरा कम - Reduces Risk of Ovarian Cancer: स्तनपान करने से अंडाशय के कैंसर का खतरा भी कम होता है।
  • ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम - Reduces Risk of Osteoporosis: स्तनपान करने से माँ की हड्डियाँ मजबूत रहती हैं और भविष्य में ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा कम होता है।
  • प्रसव के बाद का रक्तस्राव कम - Reduces Postpartum Bleeding: स्तनपान करने से प्रसव के बाद का रक्तस्राव कम होता है, क्योंकि यह गर्भाशय को तेजी से सिकुड़ने में मदद करता है।
  • अर्थिक लाभ - Economic Benefits: स्तनपान करने से फॉर्मूला दूध और बोतल खरीदने की आवश्यकता नहीं होती, जिससे पैसे की बचत होती है।
  • गर्भनिरोधक प्रभाव - Natural Contraceptive Effect: स्तनपान से कुछ हद तक प्राकृतिक गर्भनिरोधक प्रभाव होता है, जिससे माँ को अगली गर्भावस्था से बचाव मिलता है।
  • माँ और शिशु के बीच बंधन - Bonding with Baby: स्तनपान करने से माँ और शिशु के बीच एक मजबूत भावनात्मक बंधन बनता है, जिससे दोनों के बीच का रिश्ता मजबूत होता है।
  • मानसिक स्वास्थ्य में सुधार - Improves Mental Health: स्तनपान से माँ को तनाव कम होता है और प्रसव के बाद की डिप्रेशन (Postpartum Depression) की संभावना कम होती है।

स्तनपान की सही तकनीक (Correct Breastfeeding Technique)

1. सही स्थिति (Positioning)

  • क्रैडल होल्ड (Cradle Hold): यह सबसे आम स्थिति है। माँ अपने शिशु को अपनी गोद में इस प्रकार रखती है कि शिशु का सिर उसकी कोहनी के पास हो और पूरा शरीर माँ के पेट की ओर मुड़ा हो। शिशु का सिर और शरीर एक सीध में होना चाहिए।
  • क्रॉस क्रैडल होल्ड (Cross Cradle Hold): इस स्थिति में, माँ शिशु के सिर को अपनी विपरीत हाथ की कोहनी में रखती है और दूसरी हाथ से शिशु के शरीर को सहारा देती है।
  • फुटबॉल होल्ड (Football Hold): इसमें शिशु को माँ के बगल में इस प्रकार रखा जाता है जैसे माँ फुटबॉल पकड़े हुए हो। शिशु के पैर माँ के पीछे की ओर होते हैं और सिर माँ के हाथ में होता है।
  • साइड-लाइंग होल्ड (Side Lying Hold): माँ और शिशु दोनों एक तरफ लेटे होते हैं। यह स्थिति रात में स्तनपान के लिए उपयुक्त होती है।

2. सही पकड़ (Latching)

सही पकड़ शिशु को पर्याप्त दूध प्राप्त करने और माँ को दर्द से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है। सही पकड़ के लिए निम्नलिखित कदम उठाएँ:मुँह की तैयारी: शिशु के मुँह को चौड़ा खोलने के लिए उत्तेजित करें। आप शिशु के ऊपरी होंठ को हल्के से निप्पल से छू सकते हैं।
  • सही स्थिति (Correct Position): सुनिश्चित करें कि शिशु का मुँह निप्पल और एरियोला (निप्पल के चारों ओर का गहरा क्षेत्र) के बड़े हिस्से को घेरे हुए है। शिशु का निचला होंठ एरियोला के नीचे और ऊपरी होंठ निप्पल के ऊपर होना चाहिए।
  • चूसने की क्रिया (Sucking Action): सही पकड़ के बाद शिशु को चूसने की क्रिया करनी चाहिए। शिशु के चूसने की आवाज़ सुनाई देनी चाहिए और माँ को दर्द नहीं होना चाहिए।

3. आरामदायक स्तनपान (Comfortable Breastfeeding)

  • समर्थन (Support): माँ को अपने पीठ और हाथों को सहारा देने के लिए तकियों का उपयोग करना चाहिए। शिशु को उठाने के लिए भी तकिया सहायक हो सकता है।
  • आरामदायक कपड़े (Casual Clothes): स्तनपान के दौरान आरामदायक और ढीले कपड़े पहनना चाहिए ताकि स्तनपान करना आसान हो।
  • दूध का प्रवाह (Milk Flow): अगर दूध का प्रवाह अधिक तेज़ हो तो शिशु को बार-बार उठाने और डकार दिलाने की आवश्यकता हो सकती है। अगर प्रवाह धीमा हो तो माँ को स्तनों की मालिश करनी चाहिए।

4. सही समय (Timing)

  • शिशु की भूख के संकेत (Baby's Hunger Signals): शिशु की भूख के संकेत पहचानें जैसे मुँह में हाथ डालना, होंठ चाटना या हल्का रोना। शिशु को भूखा होने पर ही स्तनपान कराएं।
  • समयांतराल (Time Interval): शिशु को हर 2-3 घंटे में स्तनपान कराना चाहिए। प्रत्येक सत्र 20-30 मिनट तक होना चाहिए।

5. देखभाल और सफाई (Care and Hygiene)

  • स्वच्छता (Cleanliness): स्तनों और निप्पल की सफाई सुनिश्चित करें। हर स्तनपान सत्र के बाद निप्पल को साफ पानी से धोएं।
  • निप्पल क्रीम (Nipple Cream): अगर निप्पल में दरारें या दर्द हो तो निप्पल क्रीम का उपयोग करें।


स्तनपान में आने वाली समस्याएँ और उनके समाधान (Problems Faced During Breastfeeding and their Solutions)

  • दर्द और सूजन (Pain and Swelling): स्तनपान के दौरान स्तनों में दर्द और सूजन हो सकती है।
    • समाधान (Solution): गर्म पानी की सिकाई करें और सही स्थिति में स्तनपान कराएं। सही पकड़ सुनिश्चित करें और डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक क्रीम का उपयोग करें।

  • निप्पल फिशर (Nipple Fissures): निप्पल पर दरारें पड़ सकती हैं जिससे दर्द और असुविधा होती है।
    • समाधान (Solution): निप्पल क्रीम का उपयोग करें, सही स्थिति और पकड़ सुनिश्चित करें और निप्पल की स्वच्छता बनाए रखें।

  • स्तनों में दूध का भराव (Engorgement): स्तनों में अत्यधिक दूध भरने से सूजन और दर्द होता है।
    • समाधान(Solution): शिशु को बार-बार स्तनपान कराएं, दूध निकालने के लिए पंप का उपयोग करें और ठंडे या गर्म सिकाई का उपयोग करें।

  • स्तन में संक्रमण (Breast infections-Mastitis): स्तनों में संक्रमण हो सकता है जिससे दर्द, सूजन, और बुखार हो सकता है।
    • समाधान(Solution): डॉक्टर से परामर्श लें और एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करें। सही स्थिति में स्तनपान जारी रखें और स्तनों की सफाई बनाए रखें।

  • दूध की कम आपूर्ति (Low Milk Supply): कई माताओं को दूध की आपूर्ति कम होने की चिंता होती है।
    • समाधान (Solution): शिशु को बार-बार स्तनपान कराएं, स्वस्थ आहार और पर्याप्त जल सेवन सुनिश्चित करें। दूध उत्पादन बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ और तकनीकों का उपयोग करें।

  • दूध का रिसाव (Milk Leakage): स्तनपान के बीच में दूध का रिसाव हो सकता है।
    • समाधान (Solution): स्तनपान पैड का उपयोग करें और स्तनों पर हल्का दबाव डालें।

  • शिशु का सही तरीके से दूध न पीना (Infant Not Drinking Milk Properly): शिशु सही तरीके से दूध नहीं पी पाता जिससे पोषण में कमी हो सकती है।
    • समाधान (Solution): सही स्थिति और पकड़ की जांच करें और शिशु को सही तरीके से latching सिखाएं।

  • रात में स्तनपान की समस्याएँ (Breastfeeding Problems at Night): रात में शिशु को स्तनपान कराना कठिन हो सकता है।
    • समाधान (Solution): आरामदायक और सुरक्षित स्थिति में स्तनपान करें। रात में पास में पानी और स्वच्छता के साधन रखें।

  • अचानक दूध की आपूर्ति में कमी (Sudden Decrease in Milk Supply): कभी-कभी अचानक दूध की आपूर्ति कम हो जाती है।
    • समाधान (Solution): तनाव कम करें, अधिक पानी पीएं और स्वस्थ आहार लें। दूध उत्पादन बढ़ाने वाली तकनीकों का उपयोग करें।

  • अत्यधिक दूध का उत्पादन (Excessive Milk Production): कुछ माताओं को अत्यधिक दूध का उत्पादन हो सकता है जिससे शिशु को असुविधा होती है।
    • समाधान (Solution): अतिरिक्त दूध को निकालें और संग्रहित करें। स्तनपान के दौरान सही स्थिति और पकड़ का ध्यान रखें।

स्तनपान से सम्बंधित महत्वपूर्ण सुझाव (Important Tips Related to Breastfeeding):

  • गर्म पानी की सिकाई: दर्द और सूजन को कम करने के लिए।
  • निप्पल क्रीम: निप्पल फिशर और दरारें ठीक करने के लिए।
  • दूध निकालना: स्तनों में दूध के भराव को कम करने और आराम के लिए।
  • एंटीबायोटिक दवाएँ: स्तन संक्रमण (मस्तिटिस) के उपचार के लिए डॉक्टर की सलाह पर।
  • स्तनपान पैड: दूध के रिसाव को रोकने के लिए।
  • सही स्थिति और पकड़: स्तनपान को आसान और दर्द रहित बनाने के लिए।
  • संतुलित आहार और पर्याप्त जल सेवन: दूध उत्पादन बढ़ाने और माँ की स्वास्थ्य स्थिति को बनाए रखने के लिए।
  • तनाव कम करना: दूध की आपूर्ति को सामान्य रखने के लिए।
  • दूध उत्पादन बढ़ाने वाली खाद्य पदार्थ और तकनीकें: दूध की आपूर्ति को बढ़ाने के लिए।
  • आरामदायक स्तनपान वातावरण: स्तनपान के दौरान माँ और शिशु दोनों के लिए आराम सुनिश्चित करने के लिए।

स्तनपान के लिए आवश्यक माँ की देखभाल (Essential Mother Care for Breastfeeding):

  • संतुलित आहार (Balanced Diet): माँ को पोषक तत्वों से भरपूर संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें फल, सब्जियाँ, अनाज, प्रोटीन और डेयरी उत्पाद शामिल हों। यह सुनिश्चित करता है कि माँ और शिशु दोनों को आवश्यक पोषण मिल सके।
  • पर्याप्त जल सेवन (Adequate Water Intake): स्तनपान कराने वाली माँ को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए ताकि शरीर में जल की कमी न हो और दूध उत्पादन सुचारू रूप से हो सके।
  • आराम और नींद (Rest and Sleep): माँ को पर्याप्त आराम और नींद की आवश्यकता होती है। रात में अच्छी नींद और दिन में आराम करना महत्वपूर्ण है ताकि शरीर को ऊर्जा मिल सके।
  • सही स्थिति में स्तनपान (Breastfeeding in the Right Position): स्तनपान कराते समय सही स्थिति में बैठना और शिशु को सही पकड़ में रखना आवश्यक है। इससे स्तनपान की प्रक्रिया आसान होती है और माँ को दर्द नहीं होता।
  • सकारात्मक मानसिकता (Positive Mindset): स्तनपान के दौरान माँ को सकारात्मक और शांत मानसिकता बनाए रखनी चाहिए। तनाव और चिंता से दूध उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
  • स्तनों की देखभाल (Breast Care): स्तनों की स्वच्छता बनाए रखें और नियमित रूप से सफाई करें। निप्पल क्रीम का उपयोग निप्पल फिशर को रोकने में मदद कर सकता है।
  • दर्द और सूजन का इलाज (Treating Pain and Inflammation): अगर स्तनपान के दौरान दर्द या सूजन हो तो गर्म पानी की सिकाई करें और आवश्यकता पड़ने पर डॉक्टर की सलाह लें।
  • व्यायाम (Exercise): हल्का व्यायाम और योग माँ को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद कर सकता है। इससे शरीर की ऊर्जा बढ़ती है और तनाव कम होता है।
  • अल्कोहल और कैफीन का सेवन कम करें (Reduce Alcohol and Caffeine Consumption): स्तनपान के दौरान अल्कोहल और कैफीन का सेवन कम करना चाहिए, क्योंकि यह शिशु के स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है।
  • सहायता लें (get Help): स्तनपान के दौरान यदि कोई समस्या आती है, तो स्तनपान विशेषज्ञ, डॉक्टर या किसी अनुभवी महिला की सलाह लें। परिवार के सदस्यों से भी समर्थन प्राप्त करें।

स्तनपान के लिए आवश्यक शिशु की देखभाल (Essential Baby Care for Breastfeeding):

  • सही पकड़ और स्थिति (Correct Grip and Position): शिशु को स्तनपान कराते समय सही पकड़ और स्थिति में रखें। शिशु का पूरा शरीर माँ की ओर मुड़ा हुआ हो और उसका सिर, गर्दन, और रीढ़ की हड्डी एक सीध में हो।
  • समय पर स्तनपान (Timely Breastfeeding): शिशु को समय-समय पर स्तनपान कराना महत्वपूर्ण है। आमतौर पर शिशु को हर 2-3 घंटे में दूध पिलाना चाहिए, या जब भी शिशु भूखा लगे।
  • स्वच्छता (Cleanliness): स्तनपान से पहले और बाद में माँ को अपने हाथ और स्तनों को अच्छी तरह से धोना चाहिए। शिशु के मुँह और हाथ भी स्वच्छ रखें।
  • सही Latching (Correct Latching): शिशु को सही तरीके से latching करना महत्वपूर्ण है। इससे शिशु को सही मात्रा में दूध मिलता है और माँ को दर्द या निप्पल फिशर की समस्या नहीं होती।
  • शिशु की भूख के संकेत पहचानें (Recognize Your Baby's Hunger Cues): शिशु की भूख के संकेत जैसे मुँह में हाथ डालना, होंठ चाटना, या रोना पहचानें और तुरंत स्तनपान कराएं।
  • आरामदायक वातावरण (Relaxing Atmosphere): स्तनपान के लिए शिशु को आरामदायक और शांत वातावरण प्रदान करें। शोरगुल और ध्यान भटकाने वाले तत्वों से दूर रखें।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता का ध्यान रखें (Take Care of Immunity): शिशु को संक्रमणों से बचाने के लिए स्तनपान के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखें और बीमार लोगों से दूर रखें।
  • रात में भी स्तनपान (Breastfeeding Even at Night): शिशु को रात में भी स्तनपान कराना महत्वपूर्ण है। रात में दूध उत्पादन बढ़ता है और शिशु को पर्याप्त पोषण मिलता है।
  • शिशु की त्वचा की देखभाल (Baby Skin Care): स्तनपान के दौरान शिशु की त्वचा पर विशेष ध्यान दें। निप्पल से संपर्क में आने वाली त्वचा को साफ और सूखा रखें।
  • शिशु की वृद्धि पर निगरानी (Monitoring Your Baby's Growth): शिशु के वजन और वृद्धि पर नियमित रूप से निगरानी रखें। डॉक्टर से नियमित चेकअप कराएं और यदि शिशु का वजन सही से नहीं बढ़ रहा हो तो डॉक्टर से सलाह लें।


स्तनपान के बारे में मिथक और सच्चाई (Myths and Truths about Breastfeeding)

मिथक (Myth): माँ का दूध पर्याप्त नहीं होता
सच्चाई (Truth): माँ का दूध शिशु के लिए सभी आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है और यह पर्याप्त होता है, बशर्ते माँ का सही आहार और जल सेवन हो।

मिथक (Myth): स्तनपान कराने से स्तनों का आकार बिगड़ जाता है
सच्चाई (Truth): स्तनों का आकार गर्भावस्था के दौरान बदलता है, न कि स्तनपान के कारण। स्तनपान करने से स्थायी आकार परिवर्तन नहीं होता।

मिथक (Myth): स्तनपान के दौरान गर्भवती नहीं हो सकते
सच्चाई (Truth): स्तनपान के दौरान भी गर्भवती होना संभव है। हालांकि, स्तनपान से एक निश्चित अवधि तक प्रजनन क्षमता कम हो सकती है, लेकिन यह पूरी तरह से गर्भनिरोधक नहीं है।

मिथक (Myth): माँ को कुछ विशेष खाद्य पदार्थ नहीं खाने चाहिए
सच्चाई (Truth): अधिकतर खाद्य पदार्थ माँ के आहार में शामिल हो सकते हैं, लेकिन अगर शिशु को किसी विशेष खाद्य पदार्थ से एलर्जी होती है, तो उसे परहेज करना चाहिए।

मिथक (Myth): स्तनपान से शिशु को पर्याप्त पानी नहीं मिलता
सच्चाई (Truth): माँ का दूध शिशु की प्यास बुझाने के लिए पर्याप्त होता है और उसे अतिरिक्त पानी की आवश्यकता नहीं होती।

मिथक (Myth): स्तनपान कराने वाली माँ को हर समय दूध पीना चाहिए
सच्चाई (Truth): माँ को संतुलित आहार लेना चाहिए और आवश्यकतानुसार पानी पीना चाहिए, लेकिन अतिरिक्त दूध पीने की आवश्यकता नहीं होती।

मिथक (Myth): स्तनपान से माँ का वजन नहीं घटता
सच्चाई (Truth): स्तनपान से माँ की कैलोरी खपत बढ़ती है, जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है।

मिथक (Myth): शिशु को रात में स्तनपान कराने से दाँत खराब हो सकते हैं
सच्चाई (Truth): रात में स्तनपान कराने से दाँतों की देखभाल महत्वपूर्ण है, लेकिन सही तरीके से देखभाल करने पर दाँतों को कोई नुकसान नहीं होता।

मिथक (Myth): शिशु को हर 2 घंटे में स्तनपान कराना चाहिए
सच्चाई (Truth): शिशु की भूख और आवश्यकताओं के अनुसार स्तनपान कराना चाहिए, न कि एक निश्चित समय अंतराल पर।

मिथक (Myth): स्तनपान केवल शुरुआती कुछ महीनों में ही लाभदायक होता है
सच्चाई (Truth): स्तनपान शिशु के जीवन के पहले दो साल तक लाभकारी होता है और इसे तब तक जारी रखना चाहिए जब तक माँ और शिशु दोनों इसके लिए तैयार हों।


निष्कर्ष (Conclusion)

स्तनपान शिशु और माँ दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह शिशु को आवश्यक पोषण, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक विकास प्रदान करता है। माँ के लिए भी यह स्वास्थ्य लाभकारी है और भावनात्मक संबंध को मजबूत बनाता है। स्तनपान के दौरान सही स्थिति, पकड़ और देखभाल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। यदि किसी भी प्रकार की समस्या आती है, तो स्तनपान विशेषज्ञ या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। स्तनपान को बढ़ावा देना और इसके महत्व को समझाना हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है, ताकि हर शिशु को उसका हक मिल सके और वह स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सके।

स्तनपान की मिठास, आँचल की छाँव,
माँ का प्यार बहुत अनमोल, नवजात बच्चे के लिए खास।


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