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बच्चों का घुटनों के बल ना चलने के कारण और उपाय (Reasons and Remedies for Children Not Crawling on Their Knees)

#Reasons and Remedies for Children Not Crawling on Their Knees

शिशु का विकास एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और रेंगना इस प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है। रेंगना शिशुओं के संज्ञानात्मक, शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। यह उनके मांसपेशियों को मजबूत बनाता है, मोटर स्किल्स को विकसित करता है और उन्हें स्वतंत्रता का अनुभव कराता है। रेंगने से शिशु अपने आसपास के वातावरण को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं और उनके आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
Baby's Growth

घुटनों के बल चलना का महत्व (Importance of Crawling)

  • मांसपेशियों की मजबूती (Muscle Strengthening): रेंगने से शिशु के हाथ, पैर, पीठ और गर्दन की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है, जो उनके चलने में सहायक होती है।
  • समन्वय कौशल (Coordination Skills): रेंगने से हाथों और पैरों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित होता है, जो बाद में चलने और दौड़ने में सहायक होता है।
  • दृष्टि विकास (Vision Development): रेंगते समय शिशु की आँखों का हाथों के साथ समन्वय होता है, जिससे उनकी दृष्टि क्षमता में सुधार होता है।
  • अन्वेषण और जिज्ञासा (Exploration and Curiosity): रेंगने से शिशु को नए-नए चीज़ों को खोजने और समझने की प्रवृत्ति बढ़ती है, जिससे उनकी जिज्ञासा और अन्वेषण क्षमता में वृद्धि होती है।
  • मोटर स्किल्स (Motor Skills): रेंगने से मोटर स्किल्स विकसित होती हैं, जो बाद में उनके बैठने, खड़े होने और चलने में मददगार होती हैं।
  • संवेदी विकास (Sensory Development): रेंगने से शिशु के विभिन्न संवेदी अंगों का विकास होता है, जैसे कि स्पर्श, दृष्टि, और श्रवण।
  • स्वतंत्रता और आत्मविश्वास (Independence and Confidence): रेंगने से शिशु को स्वतंत्र रूप से घूमने का अनुभव होता है, जिससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • समस्याओं का समाधान (Problem-Solving): रेंगते समय शिशु विभिन्न बाधाओं को पार करना सीखते हैं, जिससे उनकी समस्या सुलझाने की क्षमता बढ़ती है।
  • मस्तिष्क विकास (Brain Development): रेंगने से मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों के बीच संचार बेहतर होता है, जिससे मस्तिष्क का विकास होता है।
  • स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती (Health and Well-being): रेंगना शिशु के शारीरिक स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए लाभदायक है, जिससे उनका समग्र विकास होता है।

शिशु कब रेंगना शुरू करते हैं (When Baby Start Crawling)

अधिकांश शिशु 6 से 10 महीने की उम्र के बीच रेंगना शुरू कर देते हैं। हालांकि, कुछ शिशु इससे पहले या बाद में भी रेंग सकते हैं। यह उनके शारीरिक विकास, मानसिक क्षमता और उनके वातावरण पर निर्भर करता है। माता-पिता को शिशु के विकास को ध्यान में रखते हुए उन्हें रेंगने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

बच्चों के घुटनों के बल न रेंगने के कारण (Reasons for Children Not Crawling on Their Knees)

  • कमजोर मांसपेशियाँ (Weak Muscles): शिशु की मांसपेशियाँ कमजोर हो सकती हैं, जिससे वह रेंगने में असमर्थ हो सकता है।
  • वजन अधिक होना (Overweight): अधिक वजन के कारण शिशु को रेंगने में कठिनाई हो सकती है।
  • वातावरण में बदलाव (Changes in Environment): अचानक वातावरण में बदलाव या नए स्थान पर होने के कारण शिशु रेंगना बंद कर सकता है।
  • रोग या बीमारी (Illness or Disease): किसी रोग या बीमारी के कारण शिशु की ऊर्जा कम हो सकती है, जिससे वह रेंगने में असमर्थ हो सकता है।
  • चोट या दर्द (Injury or Pain): किसी चोट या दर्द के कारण शिशु को रेंगने में दिक्कत हो सकती है।
  • कम संवेदी अनुभव (Lack of Sensory Experience): कम संवेदी अनुभव के कारण शिशु को रेंगने में मुश्किल हो सकती है।
  • विकास में देरी (Developmental Delays): शारीरिक या मानसिक विकास में देरी के कारण शिशु को रेंगने में दिक्कत हो सकती है।
  • मोटर स्किल्स की कमी (Lack of Motor Skills): शिशु की मोटर स्किल्स ठीक से विकसित न होने के कारण वह रेंग नहीं सकता।
  • पर्याप्त समय न देना (Not Enough Time on Tummy): शिशु को पेट के बल पर्याप्त समय न देने के कारण वह रेंगना नहीं सीख पाता।
  • अत्यधिक सहारा (Excessive Support): शिशु को अत्यधिक सहारा देने के कारण वह स्वतंत्र रूप से रेंगना नहीं सीख पाता।
  • गर्भावस्था में समस्याएं (Pregnancy Complications): गर्भावस्था के दौरान समस्याएं होने के कारण शिशु का शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है।
  • शारीरिक विकलांगता (Physical Disability): शारीरिक विकलांगता के कारण शिशु रेंगने में असमर्थ हो सकता है।
  • अनुवांशिक कारण (Genetic Reasons): कुछ अनुवांशिक कारणों से शिशु का विकास धीमा हो सकता है।
  • पोषण की कमी (Nutritional Deficiency): पोषण की कमी के कारण शिशु की ऊर्जा और मांसपेशियों की शक्ति कम हो सकती है।
  • माता-पिता की चिंता (Parental Anxiety): माता-पिता की अत्यधिक चिंता और हस्तक्षेप के कारण शिशु स्वतंत्र रूप से रेंगना नहीं सीख पाता।

बच्चों को घुटनों के बल चलना सिखाने के लिए क्या करें (What to Do to Encourage Crawling)

  • पेट के बल समय (Tummy Time): शिशु को पेट के बल पर्याप्त समय दें, ताकि उनकी मांसपेशियाँ मजबूत हो सकें।
  • उत्साह बढ़ाएं (Encourage): शिशु को रेंगने के लिए उत्साहित करें और उनकी तारीफ करें।
  • खिलौनों का उपयोग (Use Toys): शिशु के सामने खिलौने रखें, जिससे वह उन्हें पाने के लिए रेंगने का प्रयास करे।
  • आरामदायक वस्त्र (Comfortable Clothing): शिशु को आरामदायक और ढीले वस्त्र पहनाएं, जिससे वह आसानी से रेंग सके।
  • स्वस्थ आहार (Healthy Diet): शिशु को पोषण युक्त आहार दें, जिससे उनकी ऊर्जा और मांसपेशियों की शक्ति बढ़े।
  • मॉडलिंग (Modeling): खुद रेंगकर शिशु को दिखाएं, ताकि वह आपको देखकर रेंगने का प्रयास करे।
  • सुरक्षित स्थान (Safe Space): शिशु को रेंगने के लिए सुरक्षित और साफ जगह दें।
  • फिजिकल थेरेपी (Physical Therapy): यदि शिशु को रेंगने में समस्या हो रही है, तो फिजिकल थेरेपी का सहारा लें।
  • संवेदनशीलता को बढ़ावा दें (Promote Sensory Development): शिशु के संवेदी विकास के लिए उन्हें विभिन्न बनावट और सतहों पर रेंगने दें।
  • समय और धैर्य (Time and Patience): शिशु को रेंगने के लिए पर्याप्त समय और धैर्य दें।

डॉक्टर से संपर्क कब करना चाहिए (When to Contact a Doctor)

यदि शिशु 12 महीने की उम्र तक भी रेंगने का प्रयास नहीं कर रहा है या उसके विकास में अन्य कोई असमानता है, तो विशेषज्ञ से संपर्क करना आवश्यक है। विशेषज्ञ शिशु की संपूर्ण जांच करके उचित उपाय और सुझाव दे सकते हैं।

निष्कर्ष (Conclusion)

शिशु का रेंगना उनके समग्र विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल उनकी मांसपेशियों को मजबूत करता है, बल्कि उनकी संवेदी और मानसिक क्षमताओं को भी बढ़ाता है। माता-पिता को शिशु के रेंगने के महत्व को समझते हुए उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए और किसी भी समस्या के समाधान के लिए समय पर विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए। धैर्य और समर्पण से शिशु का सही विकास सुनिश्चित किया जा सकता है।

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